गुनाह करता तो सजा मंजूर थी,
मुझको बेवजह ही अश्क बहानें पड़े
- शर्मा
लोग आए, ठहरे और छोड़ गए
ये हाल रहा मेरे नसीब के मकां का
- शर्मा
भीगती है हर रात शबनम से, कुछ इस तरह
मेरे अश्कों की अब पहचान नही होती
- शर्मा
रात बीतकर सहर हुई
एक ख़्वाब फिर राख हुआ
- शर्मा
पड़ी जो किसी रोज़ अश्कों की बौछारे
सुना है, मकां तुम्हारे भी इसी शहर में है
- शर्मा
कश्ती तुम्हारी, पतवार तुम्हारी दरिया पार किया, वो ठीक है
मगर, हाल-ए-दरिया पूछ तो लेते
- शर्मा
वो बुराई करती है तो क्या
कभी इबादत में नाम था मेरा
- शर्मा
साल लगे दफ़नाने मे
फिर आज एक सैलाब लौट आया
- शर्मा
रात बीतकर सहर हुई
एक ख़्वाब फिर राख हुआ
- शर्मा
काश तुमने मुझे समझा होता
मेरे आंसू भी क़ीमती होते
- शर्मा
बात अगर भरोसे की हो तो जरूर करना
ये रातो को जागना वफ़ा की ही देन है
- शर्मा
वो मिलेगा कहीं किसी रोज
इसी उम्मीद पर सफ़र जारी है
- शर्मा
सही करती है लहर भी किनारा चूम छोड़ देती है
धोका देने वाले ही खुश रहा करते हैं
- शर्मा
बारिशों से खेलने का शौक है तुझको
पर तू इतनी नादां भी नहीं अश्क न पहचान सके
- शर्मा
ज़रुरत मेरी है, इश्क़ मुझको है उसको नहीं
वो ना आए तो बेवफ़ा ना कहना
मकान मेरा ज़रूर है, लेकिन ज़मीन उसकी है
- शर्मा
तेरी यादों के बीच कुछ लिखूँ तो भी, अब डरता हूँ
कहीं कलम भी धोखा न दे लिखते लिखते
- शर्मा
पूरे चाँद की रात में, तेरी सुंदरता का वर्णन कैसे करूँ
या कहूँ की असीम सागर भी बेताब है, तेरा दीदार पाने को
- शर्मा
अगर तू देखे खुद को, दरिया के ठहरे पानी में
खुद चाँद भी उतर आता है
तेरे हुस्न का दीदार पाने को
- शर्मा
जुल्फ हटी है कानों से क्या कहा है हवाओं ने
आँखे तेरी नम हुई है किसकी खबर आयी है
- शर्मा
छोड़ दे शहर या बांध ले जुल्फें अपनी
इत्र के सौदागर गरीब हुए बैठे हैं
- शर्मा
तेरी बेवफ़ाई की ये आख़िरी हद थी
रास्ता बता शहर का मकां बदल दिया
- शर्मा
ख़ुदा न सही पर कुछ तो खास था किरदार हमारा
वरना आज भी यू बदनाम न होते
- शर्मा
न आया कर अकेले कब्र पर
कई आशिक दन है यहां मेरी तरहा
- शर्मा
नासमझ है वो लड़की छोड़ो, जानें दो
मेरी मोहब्बत सच्ची है, ये मुझे पता है
- शर्मा
हवाएँ सर्द थी और शाम छोटी रही
वो नादां आग को अपना समझ बैठा
- शर्मा
क्या कसूर किनारे का, लहर को अपना समझा
जो समुंदर की न हुई, वो तेरी क्या होगी
- शर्मा
कुछ चिराग सफर देख न सके
हवाओं ने सुबह तक सब्र नहीं किया
- शर्मा
भटके है कईं उस मोड़ से
जहाँ तूने अपने शहर का रस्ता बताया था
- शर्मा
चिरागो की कीमत शहर क्या जाने
रात तो सिर्फ कच्चे मकानों को आती हैं
- शर्मा
कैसे सहते होंगे ये सितम तुम्हारे घर के आईने
कि तेरी ख़ूबसूरती को क़ैद न कर सके
- शर्मा
नसीब में कब लिखी हो क्या पता
तेरा पराया होना ही मौत है
- शर्मा
एक भरोसे का अंजाम कुछ यूं था
उसने मुझको मुझसे छीन लिया
- शर्मा
क्यूँ अमावस को भी कम है अँधेरा
चांद निकला है या चेहरे से पर्दा हटा है तेरा
- शर्मा
नहीं लिखा गया है उसको मेरे नसीब की किताब में
मगर अक्सर रात बिताने को पन्ने पलटे जाते हैं
- शर्मा
ये दुनिया एम्बुलेंस को रास्ता देती है
मगर जिंदों की कद्र नहीं करती
- शर्मा
सोचा तुझे उतारु स्याही-सा जिंदगी की किताब में
मगर तब तक, वक्त पन्ने भर बैठा था
- शर्मा
जब हमसफर थे, तब कद्र न की हमने
अब तेरी एक झलक पाने को
यादों से उन लम्हों को उधार लेते हैं
- शर्मा
इस शहर का मौसम बड़ी जल्दी बदलता है
न झटकना अपनी जुल्फों को आशिकों का घर टपकता है
- शर्मा
सुना है, मय्यत पर अश्क बहाए है उसने
वो नसीब वाला कौन था
एक हम थे, जो मर गए दफ़नाने वाला कौन था
- शर्मा
काश तू लिखी होती नसीब में मेरे
मेरे ये आँखें सीधे सुबह ही खुलती
- शर्मा
सोचता था पत्थर भी पिघलते होंगे तुझसे मिलकर ये भ्रम भी टूट गया
इतना देखा हाथ की लकीरों को आँख का पानी भी सूख गया
हर रात बीती तेरी याद में मेरा तो सवेरा भी अब डूब गया
- शर्मा
धूप बारिश और तेरा नाम
काफ़ी है भीगाने के लिए
- शर्मा
ए हवा ले जा इन बादलों को कहीं दूर इस शहर से
इनके गरजने से वो सहम जाती है
- शर्मा
रोए तो हम भी थे जुदाई पर फर्क सिर्फ इतना था
उनके आँसू बह गए, हमारे आँखों में रह गए
- शर्मा
खुली आँखों के सामने भी तेरा चेहरा आया
आँखें जो बंद की ख्वाब भी तेरा आया
जुबां जो खोली इबादत मे खुदा की
जुबां पे नाम भी तेरा आया
- शर्मा
नहीं लिखा गया है उसको मेरी जिंदगी की किताब में
मगर, अक्सर रात बिताने को पन्ने पलटे जाते हैं
- शर्मा
जीते-जी न सही कब्र पर तो आएगी
झूठे ही सही कुछ अश्क तो बहाएगी
सच कहता हूँ, मेरे खुदा
उस दिन माटी में ही जनन्त नसीब हो जाएगी
- शर्मा
नींद न आई हमें उनके इंतजार में
एक वो थे जो सो गए, किसी और के इंतजार में
- शर्मा
लिखकर तेरा नाम टूटी कश्ती जो उतारी
दरिया भी हुनर भूल गया कश्तियाँ डुबाने का
- शर्मा
ए जिंदगी मत दे जख्म इतने मरहम भी कम पड़ जाए
हम तो सह लेंगे मगर उनका क्या जो हमारे लिए ही जीते है
- शर्मा
मिली जो तुम मुझको शायद खुदा की यही मर्जी है
यू तो रातें रोज होती है मगर चाँदनी बिखरे ये तो मेघों की मर्जी है
- शर्मा
अरे मौसम ही तो है बदल जाएगा
तेरा नसीब नहीं जो तड़पाएगा
वो चली गयी ये मान ले आखिर कब तक अश्क बहाएगा
ये तेरा नसीब है, तू जान ले मौसम नही जो बदल जाएगा
आखिर कब तक अश्क बहाएगा
- शर्मा